बिहार: कोरोना से माता या पिता की गई जान तो बच्चे को हर महीने मिलेंगे 1500 रुपये

 


सीएम नीतीश कुमार ने गुरुवार को समाज कल्याण विभाग की समीक्षा बैठक की थी. उस बैठक में उनकी सरकार द्वारा चलाई जा रहीं तमाम जन कल्याण योजनाओं की प्रगति पर विस्तार से बात की गई और कैसे ज्यादा लोगों तक इन योजनाओं का लाभ पहुंचाया जाए, इस पर जोर दिया गया. कोरोना को देखते ही ये भी फैसला हुआ कि 18 साल की उम्र तक हर उस बच्चे को 1500 रुपए प्रति माह दिए जाएंगे जिन्होंने अपने माता या फिर पिता को कोरोना की वजह से खोया है.

अनाथ बच्चों को 1500 रुपये

सीएम नीतीश कुमार ने इस बारे में कहा था कि जिन अनाथ बच्चे-बच्चियों के अभिभावक नहीं हैं, उनकी देख-रेख बाल गृह में हो. ऐसे अनाथ बच्चियों का कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय में प्राथमिकता के आधार पर नामांकन कराया जाए. राज्य सरकार द्वारा 18 वर्ष होने तक 1,500 रुपये प्रतिमाह दिए जाएं. इसके अलावा सीएम की तरफ से उस बैठक में जनसंख्या को लेकर भी बड़ा बयान दिया गया. बढ़ती जनसंख्या पर सीएम ने भी चिंता जाहिर की और अपनी सरकार का रोडमैप भी बताया. सीएम ने कहा कि जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए लोगों को प्रेरित किया जा रहा है। बिहार का जन्म दर पहले 4 था, जो अब घटकर 3.2 हो गया है.

CM की महिलाओं के लिए योजना

वैसे उस बैठक में महिलाओं के हित का भी खासा ध्यान रखा गया और सबसे ज्यादा चर्चा भी उसी वर्ग की होती दिखी. खुद सीएम ने अपनी सरकार की कई मामलों में तारीफ की. उन्होंने जोर देकर कहा कि उनकी सरकार की तरफ से महिलाओं को सशक्त करने के लिए कई योजनाएं चलाई गई हैं. उन्होंने हाल ही में दिए गए 33 प्रतिशत आरक्षण का भी जिक्र किया. बताया गया कि मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों में लड़कियों को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान किया जा रहा है. सभी सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 35 प्रतिशत का आरक्षण दिया गया है. आज राज्य में बड़ी संख्या में महिलाएं पुलिस बल में कार्य कर रही हैं. सभी थानों में महिला पुलिस के लिए आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं.

नीतीश के दहेज प्रथा पर कड़े तेवर

उस बैठक में सीएम ने कुछ निगमों को खास सलाह भी दीं. उन्होंने महिला विकास निगम को साफ निर्देश दिए कि उनकी तरफ से दहेज प्रथा के खिलाफ लगातार प्रचार किया जाए और इसको लेकर जागरूकता अभियान भी चलता रहे. उन्होंने कहा कि बाल विवाह और दहेज उन्मूलन के लिए लगातार अभियान चले. हर गांव, हर शहर और हर मुहल्लों में जीविका सहित अन्य लोगों/संगठनों के सहयोग से इस पर चर्चा कराएं. लोगों को बाल विवाह और दहेज प्रथा के दुष्परिणामों से अवगत कराएं. इससे समाज के 90 प्रतिषत लोगों पर असर पड़ेगा.



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