केरला की राजधानी तिरुवनन्तपुरम (त्रिवेन्द्रम) से 442 किलोमीटर दूर एक गांव है पोजुथाना। वायनाड जिले में आता है। यहां से राहुल गांधी सांसद हैं। बात राजनीति की नहीं बल्कि आज 1 मई 2020 को मजदूर दिवस के मौके पर एक लड़की की सक्सेस स्टोरी जानिए। लड़की का नाम है श्रीधन्या सुरेश। वर्ष 2018 तक श्रीधन्या एक दिहाड़ी मजदूर की बेटी थीं, मगर अब आईएएस अफसर भी हैं। करीब 7 हजार की आबादी वाले गांव पोजुथाना की कुरिचिया जनजाति से ताल्लुक रखने वाली श्रीधन्या सुरेश की स्टोरी हर किसी के लिए प्रेरणादायी है।
केरला की पहली जनजाति महिला आईएएस
श्रीधन्या सुरेश नाम गरीबी, मेहतन और कामयाबी की मिसाल का है। महज 22 साल की उम्र में इन्होंने कमाल कर दिखाया। वर्ष 2018 में 410वीं रैंक हासिल कर UPSC परीक्षा पास की। इसी के साथ ही केरला की पहली जनजाति महिला आईएएस बनने का रिकॉर्ड श्रीधन्या सुरेश के नाम दर्ज हो गया।
पिता ने धनूष तीर बेचकर बेटी को काबिल बनाया
केरल का वायनाड़ आदिवासी इलाका है। यहां रोजगार और बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। लोग जंगलों में टोकरी, धनुष तीर और मनरेगा के भरोसे पेट पाल रहे हैं। श्रीधन्या के पिता भी दिहाड़ी मजदूर हैं। गांव के बाजार में धनुष और तीर बेचने का काम करते हैं। यह मजदूर पिता खुद नहीं पढ़ सका, मगर बेटी को पढ़ने-लिखने का भरपूर अवसर दिया और आईएएस की कुर्सी तक पहुंचा दिया।
आईएएस श्रीधन्या की शिक्षा व नौकरी
अपने गांव पोजुथाना के सरकारी स्कूल से पढ़ाई करने के बाद श्रीधन्या ने सेंट जोसेफ कॉलेज से जूलॉजी में स्नातक की। फिर आगे की पढ़ाई के लिए कोझीकोड पहुंची और यहां के कालीकट विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएशन किया। इसके बाद श्रीधन्या केरल में ही अनुसूचित जनजाति विकास विभाग में क्लर्क के रूप में काम करने लगीं। कुछ समय वायनाड में आदिवासी हॉस्टल की वार्डन भी रहीं।
अनुसूचित जनजाति विभाग से मिली मदद
कॉलेज समय से ही श्रीधन्या ने सिविल सेवा में जाने का मन बना लिया था। क्लर्क और आदिवासी हॉस्टल की वार्डन की नौकरी करने के साथ-साथ श्रीधन्या ने सिविल परीक्षा की तैयारियां शुरू कर दी थीं। नौकरी के साथ-साथ ट्राइबल वेलफेयर द्वारा चलाए जा रहे सिविल सेवा प्रशिक्षण केंद्र में कुछ दिन कोचिंग की। उसके बाद वो तिरुवनंतपुरम चली गईं। अनुसूचित जनजाति विभाग से आर्थिक मदद मिलने के बाद श्रीधन्या ने पूरा ध्यान तैयारी पर लगा दिया।
जेब नहीं थे दिल्ली तक आने के पैसे
श्रीधन्या ने बुलंद हौसलों के दम पर तीसरे प्रयास में वर्ष 2018 में सिविल सेवा परीक्षा पास कर ली। 410 रैंक हासिल की। फिर जब उनका नाम साक्षात्कार की सूची में आया तब दिक्कत यह थी कि श्रीधन्या के पास साक्षात्कार के दिल्ली आने तक के पैसे नहीं थे। बात जब दोस्तों को पता चली तो उन्होंने चंदा जुटाया और श्रीधन्या के लिए 40 हजार रुपए की व्यवस्था कर उसे दिल्ली भेजा।
Ms Sreedhanya Suresh from Wayanad, is the first tribal girl from Kerala to be selected for the civil service.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) April 6, 2019
Sreedhanya’s hard work & dedication have helped make her dream come true.
I congratulate Sreedhanya and her family and wish her great successs in her chosen career.