बिहार के आदित्य : संस्कृत बोलने-पढ़ने की वजह से जिन्हें कहा जाता था गँवार, वही लड़का UPSC एग्जाम देकर बना अफसर

 


दोस्तों, अक्सर देखा जाता है कि जब भी UPSC परीक्षा के प्रतिभागियों की बात होती है, तो हिन्दी मीडियम पढ़े बच्चों को कमतर ही आंका जाता है। कई बार तो उनका मज़ाक भी उड़ाया जाता है। जबकि हम सभी आए दिन न्यूज पेपर और सोशल मीडिया पढ़ते व सुनते रहते हैं कि बहुत से प्रतिभागी जिन्होंने हिन्दी मीडियम से पढ़ाई की थी, वह भी परीक्षा में अच्छे अंको से पास हुए हैं, लेकिन अंग्रेज़ी भाषा को लोग स्टेटस और काबिलियत से जोड़ने लगे हैं तथा अपनी असल संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं। परन्तु आज हम जिन शख़्स की बात करने जा रहे हैं उन्होंने ना केवल संस्कृत की पढ़ाई की, बल्कि हिन्दी मीडियम से होने के बावजूद UPSC परीक्षा में पास होकर बड़े अफसर भी बने।


हम बात कर रहे हैं बिहार के मधुबनी जिले के एक गाँव लखनौर में जन्म लेने वाले आदित्य कुमार झा (IRAS Aditya Kumar Jha) की। उन्होंने अफसर बनकर ना केवल परिवार का नाम रोशन किया, बल्कि छोटी मानसिकता के वे लोग जो संस्कृत पढ़ने की वज़ह से उन पर ताने कसा करते थे।




संस्कृत के प्रोफेसर हैं पिता और बाक़ी सदस्य भी हैं संस्कृत के विद्वान


बिहार के निवासी आदित्य कुमार झा (IRAS Aditya Kumar Jha) के पिता जी संस्कृत के प्रोफेसर हैं। वे आपस में तीन भाई हैं। वैसे उनके परिवार में सभी सदस्य संस्कृत के विद्वान हैं। जब वे 6ठवीं कक्षा में आए तो उनके पिता जी ने शिक्षा के लिए उन्हें बड़े भाई के साथ प्रयागराज (इलाहाबाद) भेज दिया था। इलाहाबाद में पढ़ाई करते हुए उन्होंने अपने बड़े भाई को देखा जो UPSC परीक्षा की तैयारी कर रहे थे, उन्हीं से प्रेरित होकर आदित्य ने सिविल सेवाओं में जाने का मन बना लिया था।


इंटरमीडिएट करने के पश्चात उन्होंने भूगोल, संस्कृत एवं राजनीति विज्ञान विषयों से ग्रेजुएशन पूरा किया फिर इसके बाद MA की पढ़ाई करने के लिए दिल्ली चले गए। चूंकि आदित्य ने हिन्दी माध्यम से पढ़ाई की थी इसलिए कुछ लोगों ने गंवार कहकर ताने मारा करते थे, आदित्य ने अपनी काबिलियत से उस वक़्त लोगों का मुंह बंद कर दिया, जब उन्होंने वर्ष 2018 में यूपीएससी का एग्जाम (UPSC Exam) पास किया। उन्होंने इस परीक्षा में 339 रैंक प्राप्त की।




IB जॉइन नहीं की तो पिताजी हुए नाराज़


आदित्य ने बताया कि हैं कि उसी दौरान सीसैट का क्रेज़ देखकर उन्होंने दिल्ली में इसकी कोचिंग ली। इसके बाद आदित्य सिविल सेवा में गए। वहीं उन्हें IB में सहायक सेंट्रल इंटेलिजेंस ऑफिसर के तौर पर कामयाबी मिली। लेकिन वे IB जॉइन नहीं करना चाहते थे इस बात के लिए उनके पिताजी गुस्सा भी हुए। आदित्य कुमार ने पूरी लगन के साथ पढ़ाई की और UPSC का मुख्य एग्जाम दिया।


दूसरी कोशिश में मिली कामयाबी


आदित्य ने बताया कि साल 2015 की परीक्षा में वे असफल रहे, फिर साल 2016 में भी उन्होंने फिर से यही परीक्षा दी। वे टेस्ट सीरीज, सामान्य अध्ययन पढ़ा करते थे जिससे उनका प्रदर्शन औसत से भी अच्छा हो गया इसके बाद एटा जिले में बचत अधिकारी के तौर पर उन्होंने जॉइनिंग की।


इंटरव्यू से पहले हुआ पैर फ्रैक्चर, बहन ने व्हील चेयर पर बैठाकर इंटरव्यू दिलवाया


आदित्य ने UPSC की मुख्य परीक्षा में कामयाबी प्राप्त की, उससे उनका सारा परिवार बहुत प्रसन्न था। परीक्षा में आदित्य ने अपने ऑप्शनल सब्जेक्ट के तौर पर संस्कृत विषय सलेक्ट किया था। जब उनका रिजल्ट आया उसी रात करीब 9 बजे दुर्भाग्यवश उनका पैर फ्रैक्चर हो गया और उनको डॉक्टर ने बेड रेस्ट करने को कहा। इसके बाद उन्होंने अगले 2 महीनों तक बेड रेस्ट करते हुए इंटरव्यू की तैयारी की। आदित्य ने फ़्रैक्चर हो जाने पर भी अपनी हिम्मत बनाए रखी और व्हीलचेयर पर ही पर बैठकर इंटरव्यू देने का निश्चय किया।


जिसके लिए आदित्य की बहन ने उनका बहुत साथ दिया। वे आदित्य को मॉक इंटरव्यू के लिए व्हीलचेयर पर बैठा लेकर गईं। मुखर्जी नगर से राजेन्द्र नगर घूमकर फिर वे इंटरव्यू के स्थान पर पहुँचे। आदित्य और उनकी बहन की मेहनत से आदित्य सफल हुए और दिल्ली एवं अंडमान-निकोबार सिविल सेवा’ में उनका सलेक्शन हो गया।




लगातार सफलता प्राप्त करते गए


आदित्य (IRAS Aditya Kumar Jha) का ने परीक्षा में 503 वां स्थान हासिल करके सबको गौरवान्वित किया, फिर उन्होंने साल 2017 में सिविल सेवा का मेन एग्जाम दिया और IRAS की ट्रेनिंग लेना शुरू कर दिया। इस परीक्षा में 431 रैंक आने से उनका सलेक्शन DANICS सर्विसेज के लिए हुआ। आपको बता दें कि आदित्य ने वर्ष 2018 में भी UPSC का एग्जाम दिया जिसमें उन्होंने 339 वीं रैंक प्राप्त की थी।


आदित्य (IRAS Aditya Kumar Jha) की सक्सेस स्टोरी से सभी को सीख मिलती है कि किसी की काबिलियत का आकलन उसकी मेहनत और प्रतिभा के बल पर होना चाहिए न कि उसके बैकग्राउंड और पढ़ाई के माध्यम को देखकर।


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