गर्मियों में कुएं या चापाकल से निकाला गया पानी ठंडा होता है जबकि सर्दियों में गर्म; ऐसा क्यों होता है?



अक्‍सर आपके घर में ये होता होगा जब आपकी मां या आपकी दादी कहती होंगी कि पानी की मोटर ऑन हो गई है, जल्‍दी से नहा लो. गर्मी हो या सर्दी, उनका ये डायलॉग बिल्‍कुल नहीं बदलता है. जब आप उनसे पूछेंगे तो जवाब मिलेगा अभी ठंडा पानी होगा या अभी पानी गर्म आ रहा होगा, तो परेशानी नहीं होगी, वगैरह, वगैरह. लेकिन आपने क्‍या कभी इसके पीछे के विज्ञान को समझने की कोशिश की है. सिर्फ पानी की मोटर ही नहीं बल्कि आप अगर किसी हैंडपंप से भी पानी लेंगे तो भी आपको यही अनुभव होगा. फिर आप सोचते होंगे कि आखिर ऐसा क्‍या है जो पानी सर्दी में गर्म और गर्मियों में ठंडा आता है. चलिए आपको बताते हैं.

सबसे पहले आपको बता दे की धरती ऊष्मा की कुचालक होती है इसका मतलब है कि धरती के अंदर जितना भी पानी है उस पर हमारे बाहरी वातावरण का कोई असर नही होता है, इसका मतलब ये है कि धरती के अंदर के पानी का तापमान एक जैसा रहता है फिर चाहे सर्दी हो या फिर गर्मी हो।

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अब आप सोच रहे होंगे की फिर ऐसा क्यों होता है

गर्मियों के मौसम में हमे नल का पानी ठंडा और सर्दियों में गर्म क्यों लगता है। तो आपको बता दे की सर्दियों के मौसम में हमारे वातावरण का तापमान काफी ज्यादा कम होता है और वही उसकी तुलना में धरती के पानी का तापमान ज्यादा होता है, अब जब हम बाहरी वातावरण में रहते है तो हमारे शरीर का तापमान पानी के तापमान से कम होता है, और इसलिये हमे कोई भी कम तापमान चीज़ गर्म लगती है, क्योंकि जब कोई कम तापमान वाली चीज़ किसी ज्यादा तापमान वाली चीज़ को छूती है तो वह उसे गर्म लगती है।

इसका ठीक उल्टा गर्मियों में होता है, क्योंकि उस समय वातावरण का तापमान और हमारे शरीर का तापमान धरती के पानी के तापमान की तुलना में ज्यादा होता है, इसी वजह से गर्मियों में हमे नल का पानी ठंडा लगता है, क्योंकि जब कोई ज्यादा तापमान वाली चीज़ किसी कम तापमान वाली चीज़ को छूती है तो वह से ठंडी लगती है।


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