पिता कैब ड्राइवर हैं, बेटी ने क्रैक किया IIT, अगला लक्ष्य IAS अफसर बनना है

 


कुछ कहानियां ऐसी होती हैं, जो समाज के लिए मिसाल कायम करती हैं. साथ ही समाज को यह संदेश भी देती हैं कि हिम्मत और जज़्बे से हर विपरीत स्थिति को हराया जा सकता है. कुछ ऐसी ही कहानी आईआईटी पटना में प्रवेश पाने वाली स्वाति की है. स्वाति के पिता रामू एक कैब ड्राइवर हैं. वो करीब 20 साल पहले अपनी पत्नी के साथ आजीविका की तलाश में आंध्र में विजयनगरम के सलुरु के पास पचिपेंटा से विजाग में आकर रहने लगे थे.

उनकी आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी कि वो अपनी बेटी को सभी ज़रूरी सुख-सुविधाएं दे सकें. मगर उन्होंने उसे स्कूल भेजने के लिए वो सबकुछ किया जो वो कर सकते थे. घर चलाने के साथ-साथ बेटी को पढ़ाने के लिए रामू ने पहले ऑटो चलाया. फिर वो कंचनपालम से मधुरवाड़ा आ गए, जहां उन्होंने टैक्सी चलानी शुरू कर दी. 

बेटी स्वाति ने भी पिता की मेहनत खराब नहीं होने दी. 10 वीं में 10/10 ग्रेड लाने के बाद स्वाति ने खुद को IIT के लिए तैयार करना शुरू कर दिया. अंतत: स्वाति अपने पिता और शिक्षकों की उम्मीद पर खरी उतरी. वो अपने कॉलेज से आईआईटी में दाखिला पाने वाली पहली लड़की है. स्वाति की इस सफलता में उनके पिता के अलावा उनके स्कूल के हेडमास्टर का अहम योदगान रहा. उन्होंने कुछ शिक्षकों के साथ मिलकर स्वाति को एक लाख रुपए की आर्थिक मदद तक की. स्वाति का अगला लक्ष्य एक IAS अधिकारी बनना है. भविष्य के लिए स्वाति को शुभकामनाएं.

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