बिहार और यूपी के पैसेंजर्स रहें सावधान, फर्जी हो सकता है दलाल से खरीदा आपका ई-टिकट



अगर आपने खुद बुकिंग न करके, कहीं बाहर से ट्रेन का ई-टिकट खरीदा है तो ठीक से चेक कर लीजिए। हो सकता है वो ई-टिकट फर्जी हो और आपको भनक तक न हो। सेंट्रल रेलवे ने 30 से ज्‍यादा ऐसे धोखेबाजों को पकड़ा है जो नकली ई-टिकट बेच रहे थे। जांच अधिकारियों के मुताबिक, मुंबई में काउंटर से टिकट खरीदते और उन्‍हें एक अवैध सॉफ्टवेयर के जरिए ई-टिकट्स में बदलते थे। फिर वॉट्सऐप के जरिए यात्रियों तक ई-टिकट पहुंचा दिए जाते। उत्‍तर प्रदेश और बिहार के कई यात्रियों ने इनसे टिकट खरीदे। उन्‍हें पता भी नहीं होता था कि टिकट फर्जी है। जब वे ट्रेन पकड़ने स्‍टेशन पहुंचते, तब पता चलता।

छोटे स्‍टेशंस से खरीदते थे टिकट

सेंट्रल रेलवे के अनुसार, कम से कम 30 ठग आसनगांव, अंबरनाथ, भिवंडी, बदलापुर, तितवला, ठाणे, कल्‍याण और CSMT से पकड़े गए हैं। अधिकारियों के अनुसार, ये फिजिकल टिकट खरीदने के लिए छोटे स्‍टेशंस इसलिए चुनते थे क्‍योंकि वहां भीड़ कम होती है और चेकिंग भी ज्‍यादा नहीं होती। डिपार्टचर सिटीज से इतर स्‍टेशनों से ट्रेन टिकट खरीदना अवैध है। जून में भी ऐसा ही रैकेट पकड़ा गया था जो मुंबई से टिकट खरीदकर उत्‍तर भारत के राज्‍यों में भेज रहा था।

टिकटों के सौदागर कैसे पकड़े गए?

रेलवे के मुताबिक, छोटे स्‍टेशंस पर संदिग्‍ध गतिविधियों की सुरागकशी की गई। औचक निरीक्षण में कुछ लोग पकड़े गए। ये लोग फिजिकल टिकट नष्‍ट कर देते। रेलवे पुलिस ने उनके नेटवर्क को ट्रैक करते हुए सबको ढूंढ़ा और वॉट्सऐप पर जो मेसेज डिलीट नहीं किए गए थे, उसे भी ये लोग पकड़ में आए।

आप इस धोखाधड़ी से कैसे बचें?

ऐसे फर्जी ई-टिकट्स के साथ यात्रा करने वाले या तो चेकिंग के दौरान पकड़े जाते हैं या फिर बुकिंग में डुप्लिकेशन से। TTE टिकट पर स्‍टेशन कोड देखकर पहचान लेता है कि टिकट फर्जी है। इसलिए आप अपने ई-टिकट पर स्‍टेशन कोड देखकर पता लगा सकते हैं कि टिकट कहां खरीदा गया है।

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