महाराष्ट्र के बीड जिले से एक ऐसी खबर आ रही है जिसने सबको चौंका दिया है. दरअसल यहां वन विभाग ने दो बंदरों को पकड़ा. इन बंदरों पर आरोप है कि पिछले कुछ महीनों के दौरान ये बंदर कुछ पिल्लों को कथित तौर पर अपने साथ ले गये. यहीं नहीं ये उन्हें पेड़ों या छतों पर रख देते थे. इसमें कुछ पिल्लों की वहां बिना भोजन या वहां से नीचे गिरने से मौत हो चुकी है.
मामले को लेकर अधिकारियों का बयान भी सामने आया है. उन्होंने बताया कि इन बंदरों को शनिवार को पकड़ा गया और उन्हें उनके प्राकृतिक प्रवास में स्थानांतरित करने का काम किया गया है. लावूल गांव के एक निवासी ने दावा किया कि ये दो बंदर कम से कम 200 पिल्लों को कथित तौर पर उठा ले गये. पिल्लों की मौत हो चुकी है. हालांकि, रेंज वन अधिकारी अमोल मुंडे ने कहा कि इस गांव से केवल 3 से 4 ऐसी घटनाएं ही प्रकाश में आई है. इसमें पिल्लों की इन दो बंदर द्वारा ले जाये जाने के बाद मौत हुई है.
ग्रामीण राधाकिशन सोनवणे ने कहा कि दो बंदर पिल्लों को अपने साथ ले जाते थे. ऐसी घटनाएं पिछले तीन महीनों से देखी जा रही थी. ये दो बंदर पिल्लों को अपने साथ ले जाते थे और घरों की छत या ऊंचाई वाले किसी अन्य स्थान पर रखने का काम करते थे. इतनी ऊंचाई पर इन पिल्लों को भोजन या पानी उपलब्ध नहीं होता था. इसलिए वे दम तोड़ देते थे. यही नहीं पिल्ले कभी-कभी ऊंचाई से गिर जाते थे जिससे उनकी मौत हो जाती थी.
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क्यों होती थी पिल्लों की मौत
बताया जा रहा है कि बंदर पिल्लों को ले जाते थे, जो उनकी "आदत" थी. वे पिल्लों को छतों या ऊंचे पेड़ों पर रखते थे. पिल्लों को ऐसी जगह जिंदा रहने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती थी और वे दम तोड़ देते थे. यदि कोई पिल्ला इन दो बंदरों से भागता था तो वह ऊंचाई से गिरकर मर जाता था. लावूल गांव में बंदरों द्वारा ले जाये जाने के बाद पिल्लों की मौत की 3 से 4 घटनाएं देखी गई.
क्या बंद कुत्तों से थे नाराज
सबके मन में एक ही सवाल आ रहा है कि क्या ये बंदर किसी जवाबी हमले में पिल्लों को निशाना बना रहे हैं. तो कुछ लोगों ने बताया कि पिछले कुछ महीनों में लावूल गांव में बंदर के किसी बच्चे की मौत नहीं हुई है. इन दो बंदरों से बचकर भागने के दौरान कुछ लोग चोटिल भी हो चुके हैं.